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Date added: 30.3.2015
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मुअनजोदडो की खूबी यह है कि इस आदिम शहर कि सडको और गलियों में आप आज भी घूम-फिर सकते हैं । यहाँ की सभयता और संसकृति का सामन चाहे अजायबघरों कि शोभा बढा रहा हो, शहर जहाँ था वहाँ अब भी है। आप इसकी किसी भी दीवार पर पीठ टिका कर सुसता सकते हैं । वह कोई खँडहरMoreमुअनजोदड़ो की खूबी यह है कि इस आदिम शहर कि सड़को और गलियों में आप आज भी घूम-फिर सकते हैं । यहाँ की सभ्यता और संस्कृति का सामन चाहे अजायबघरों कि शोभा बढ़ा रहा हो, शहर जहाँ था वहाँ अब भी है। आप इसकी किसी भी दीवार पर पीठ टिका कर सुस्ता सकते हैं । वह कोई खँडहर क्यों न हो, किसी घर की देहरी पर पांव रख कर सहसा सहम जा सकते हैं, जैसे भीतर कोई अब भी रहता हो । रसोई की खिडकी पर खड़े होकर उसकी गंध महसूस कर सकते हैं । शहर के किसी सुनसान मार्ग पर कान देकर उस बैलगाड़ी की रुन-झुन भी सुन सकते हैं जिसे आपने पुरातत्व की तस्वीरों में मिट्टी के रंग में देखा है । यह सच है कि किसी आँगन की टूटी-फूटी सीढियाँ अब आपको कहीं नहीं ले जातीं- वे आकाश की तरफ जाकर अधूरी ही रह जाती हैं । लेकिन उन अधूरे पायदानों पर खड़े होकर अनुभव किया जा सकता है कि आप दुनिया की छत पर खड़े हैं- वहाँ से आप इतिहास को नहीं, उसके पार झांक रहे हैं। मुअनजोदड़ो by ओम थानवी